*अजा. अत्याचार के विभिन्न आंकड़े चिंताजनक — राकेश नारायण*

खरसिया : उत्तरप्रदेश हाथरस की घटना हो या मध्यप्रदेश के गुना में किसान परिवार पर पुलिसिया जुल्म या देश के विभिन्न भागों में घटित हो रही अजा. अत्याचार की विभिन्न घटनाएं देश एवं समाज के लिए अत्यंत चिंताजनक हैं।
अनुसूचित जातियों पर लगातार हो रही विभिन्न वारदातों की रोकथाम आवश्यक है। इसमें सर्वाधिक चिंताजनक पहलू यह है कि विभिन्न कड़े कानूनों के रहते भी अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। समाज में शांति एवं सुव्यवस्था कायम रहे इसके लिए आवश्यक है कि अपराधियों की त्वरित गिरफ्तारी की जाए, फास्ट ट्रैक कोर्टों में मामले चलाए जाएं।
देश में घटित हो रहे विभिन्न अपराधों के आंकड़े भयावह हैं। एक जानकारी के अनुसार देश में हर 15 मिनट में अनुसूचित जातियों के साथ एक अपराध होता है। हर रोज 4 अजा. महिलाओं का रेप हो रहा है।
नैशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (NCRB) के 2016 के आंकड़ो के अनुसार देश में अजा. के ख़िलाफ़ हुई कुल 26 प्रतिशत हिंसा की घटनाओं में 15 प्रतिशत अजा. महिलाओं के ख़िलाफ़ हुई थी।
एनसीआरबी के ही आंकड़ों के मुताबिक देश में हर रोज़ औसतन चार दलित महिलाओं का बलात्कार होता है। इसी के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में दर्ज हुए 33000 बलात्कार के मामलों में 10 प्रतिशत अजा. या अजजा. महिलाएं थी। एनसीडीएचआर. (नेशनल कैम्पेन ऑफ दलित ह्यूमन राइट्स) नामक एक गैर-सरकारी संस्था के अनुसार अजा. महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। देश में लगभग 23 प्रतिशत अजा. महिलाओं को शारीरिक शोषण और बलात्कार का सामना करना पड़ता है।
तमाम अपराधों की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि अपराधियों की त्वरित गिरफ्तारी हो, शीध्र सुनवाई के साथ-साथ न्याय और दंड व्यवस्था को और भी मजबूत किया जाना चाहिए।