मनरेगा के कुएं से सुधन राम हुआ आत्म निर्भर…सब्जी की खेती को अपनाकर खुशहाली की ओर अग्रसर…

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जशपुर :- व्यक्ति में अगर आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छा और लगन हो तो न सिर्फ रूकावटें दूर होती हैं। बल्कि तरक्की के रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते है। थोड़े से प्रयास और जागरूकता के चलते सुधनराम के जीवन स्तर में बहुत बदलाव आ गया है। परम्परागत खेती के बजाय अब वह सब्जी की खेती को अपनाकर बेहतर मुनाफा कमाने लगा हैं। सुधनराम जशपुर जिले के कुनकुरी जनपद के ग्राम कंडोरा के किसान हैं। सिंचाई का साधन न होने के कारण सुधनराम की भी हालत लघु एवं सीमांत किसानों जैसी थी, जिनकी नियति खेती और मजदूरी है।
मनरेगा के तहत सुधनराम ने अपने खेत में कुंए का निर्माण कराकर नए सिरे से खेती-किसानी की शुरूआत की है। वह परम्परागत खेती के बजाय अपने 2-3 एकड़ कृषि भूमि में बरबट्टी, पालक, मूली, गोभी, प्याज, टमाटर, आलू इत्यादि की खेती प्रारंभ कर दिया। सिंचाई की उपलब्धता से अच्छी पैदावार हुई। आमदनी में इजाफा हुआ और परिवार को आर्थिक संबल मिल रहा है। सब्जी-भाजी की खेती से शुरूआती दौर में 20 से 22 हजार रूपये की आमदनी हुई। जिससे उनका उत्साह और बढ़ गया। सुधनराम ने कुएं से दोहरी फसल लेना प्रारंभ कर दिया। एक फसल धान का लेने के बाद सब्जी की खेती से उन्हें अतिरिक्त आय होने लगी है।
सुधन के घर में खुशियों की दस्तक उस समय हुई, जब उन्हें मालूम हुआ कि महात्मा गांधी मनरेगा से सिंचाई के लिए कुंआ निर्माण कराया जा सकता है। उसने ग्राम पंचायत जा कर इस संबंध में सभी जानकारी लेकर अपने नाम से कुंआ स्वीकृति ये लिए आवेदन प्रस्तुत किया। कुंआ निर्माण होने से न केवल पानी की वर्षभर उपलब्धता सुनिश्चित हुई अपितु रोजगार और जीविकोपार्जन के सुलभ अवसर भी प्राप्त हुए। इस संबंध ने सुधन राम का कहना है, कि महात्मा गांधी नरेगा ने उसके जीवन को आधार प्रदान किया है। कुंआ निर्माण से जहां साल भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई वहीं जीवन-यापन का बेहतर अवसर भी उपलब्ध हुआ है।